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आप क्या कर सकते हैं ?

अधिवक्ता

हिन्दू हितों के लिए कानूनी लड़ाई में निःशुल्क कानूनी सहायता और विशेषज्ञता प्रदान करना

उद्योगी

हिन्दू संगठनों या कार्यकर्ताओं को नियमित वित्तीय सहायता प्रदान करना

पत्रकार

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के सन्देश को लोकप्रिय बनाने के लिए अपनी पहुँच का उपयोग करें

शिक्षक

अपने विद्यालय के छात्रों में देशभक्ति और धार्मिक मूल्यों को विकसित कर भावी राष्ट्रभक्त पीढ़ियों को तैयार करें

मंदिर न्यासी

अपने मंदिरों को हिन्दू धर्म की शिक्षा देने, उसका अध्ययन और प्रचार करने का केन्द्र बनाएं

सरकारी अधिकारी

आगामी हिन्दू राष्ट्र में आवश्यक प्रशासनिक कर्मियों के निर्माण हेतु उपाय ढूंढें

सोशल मीडिया कार्यकर्ता

अपने समूह में हिन्दू राष्ट्र के लिए अभियानों चलाएं, भाषणों का रूप दें और हिन्दू राष्ट्र के विचार को प्रचारित करें

हिन्दू संगठन

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एकजुट हों और अपने संगठन की शक्ति को केंद्रित करें

संत एवं आध्यात्मिक नेता

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना को अपनी साधना का अंग मानें के लिए अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन करें

हमारा परिचय

राष्ट्रीय हिन्दू एकता संघ कोई राजनीतिक दल नहीं, कोई जातिवादी मंच नहीं।

राष्ट्रीय हिंदू एकता संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है जो हिंदुओं को एकजुट करने का कार्य करता है।

सनातन धर्म, वेद, उपनिषद, और हमारे महान संतों से प्रेरित होकर यह संगठन कार्य करता है।

हिंदू एकता ही राष्ट्र की शक्ति है।

हिंदुओं में एकता, जागरूकता, और संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना।

सर्वधर्म समभाव, सामाजिक समरसता और सेवा भाव पर आधारित कार्यप्रणाली।

धार्मिक आयोजन, एकता यात्रा, सामूहिक यज्ञ, सांस्कृतिक कार्यक्रम।

about

मैं गर्व से हिन्दू हूं और मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि..

मेरे कुलदेवता / इष्टदेवता का प्रतिदिन एक घंटा नामजप करूंगा

हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो, इसके लिए प्रतिदिन प्रार्थना करूंगा

सभी का ‘नमस्कार’ या ‘जय श्रीराम’ से अभिवादन करूंगा

माथे पर गर्व से कुमकुम अथवा तिलक लगाऊंगा

मंदिर में प्रतिदिन कम से कम एक बार दर्शन के लिए जाऊंगा

मेरे परिवार में जन्मदिन हिन्दू पंचागं के अनुसार मनाऊंगा

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्यरत संगठनों को यथाशक्ति दान करुंगा

मेरे परिवार और मित्रों को धर्मशिक्षा देने के लिए व्याख्यान आयोजित करूंगा

बच्चों में राष्ट्र एवं धर्मप्रेम को बढाने के लिए बालसंस्कार वर्ग का आयोजन करूंगा

मेरे हिन्दू साथियों को उनके कर्तव्य के प्रति जागृत करने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन करूंगा

राष्ट्र और धर्म सम्बन्धी पुस्तकों का प्रायोजक बनकर वितरण करूंगा

राष्ट्र और धर्म सम्बन्धी पर्चे (पाम्पलेट्स) का प्रायोजक बनकर वितरण करूंगा

मेरे परिवार तथा धर्म की रक्षा के लिए स्‍वरक्षा प्रशिक्षण सीखूंगा

जागरूकता निर्माण करने के लिए जानकारी देनेवाला फलक लगाकर उसे नियमित रूप से अद्यतन करूंगा

मेरे सोशल मीडिया समूह का उपयोग राष्ट्र और धर्म के विषय में होनेवाले पोस्ट साझा करने के लिए करूंगा

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गाय की विस्तृत परिभाषा

गाय को "गौ माता" कहा गया है क्योंकि:
  • वह 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास स्थान मानी जाती है।
  • वेदों और पुराणों में गाय की सेवा को पुण्य कार्य माना गया है।
  • गोविंद, गोकुल और गोपाल" — तीनों का संबंध गाय से है।
  • भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में गौचारण किया और गौ-संवर्धन को आदर्श बनाया।
  • गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा, मातृत्व का प्रतीक, और सनातन धर्म की आधारशिला है।
  • गाय को “गौ माता” कहा जाता है, क्योंकि वह पोषण, करुणा और सेवा की जीवित मूर्ति है।
  • गाय हमें दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर के रूप में पंचगव्य देती है — जो आरोग्य और अध्यात्म दोनों में उपयोगी हैं।
  • वह कृषि, पर्यावरण और ग्राम अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
  • गौमाता आपके द्वार रोटी लेने नहीं बल्कि आपकी विपदा लेने आती है इसलिए ज़ब भी गौमाता आपके द्वार पर आये तो समझ जाना प्रभु ने भेजी है।।

सम्राट महाराणा प्रताप सिंह जी का परिचय

सम्राट महाराणा प्रताप सिंह जी मेवाड़ राज्य के राजा और भारत के इतिहास के सर्वाधिक सम्मानित, स्वतंत्रता-प्रिय और स्वाभिमानी योद्धाओं में से एक थे।

उनका जन्म 9 मई 1540 को हुआ था और वे सिसोदिया राजपूत वंश के वंशज थे।

महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में धर्म, मातृभूमि और सम्मान की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

उन्होंने कभी भी अकबर जैसे विदेशी आक्रांताओं के आगे आत्मसमर्पण नहीं किया, जबकि अन्य कई राजा समझौता कर चुके थे।

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के वीर सम्राट महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच राजस्थान के हल्दीघाटी नामक स्थान पर लड़ा गया। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था। मुगलों की सेना संख्या में लगभग चार गुना अधिक थी। फिर भी महाराणा प्रताप की सेना, जिसमें राजपूत योद्धा, घुड़सवार, धनुर्धारी और भील जनजाति के वीर शामिल थे, ने अदम्य साहस और युद्ध कौशल का परिचय दिया। यह महाराणा प्रताप के आत्मसम्मान, स्वतंत्रता प्रेम और संघर्षशीलता का प्रतीक बन गया। इस युद्ध के बाद भी महाराणा प्रताप ने युद्ध जारी रखा और बाद में कई क्षेत्रों को पुनः जीतकर मेवाड़ की स्वतंत्रता को जीवित रखा।

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छत्रपति शिवाजी महाराज का परिचय

स्वतंत्रता की अदम्य भावना: उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत किसी विदेशी या आततायी का गुलाम नहीं रहेगा।

उनकी संकल्पना थी — "हिंदवी स्वराज्य" अर्थात ऐसा राज्य जो हिंदुस्थानियों द्वारा, हिंदुस्थानियों के लिए, हिंदुस्थानियों का हो।

वर्ष 1674 में रायगढ़ किले में उनका राज्याभिषेक हुआ — 1000 वर्षों बाद किसी हिंदू राजा का विधिपूर्वक वैदिक राजतिलक!

यह ताजपोशी भारत के स्वाभिमान की पुनर्स्थापना का प्रतीक बन गई।

छत्रपति शिवाजी महाराज भारत की आत्माके रक्षक, हिंदवी स्वराज्य के निर्माता और शौर्य, नीति और न्याय के आदर्श सम्राट थे