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हमारा उद्देश्य

हमारा लक्ष्य – प्राचीन मंदिरों का गौरव पुनः स्थापित करना

हमारा लक्ष्य भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को पुनर्जीवित करना है।

भारत के हज़ारों प्राचीन मंदिर जो समय, विदेशी आक्रमणों या उपेक्षा के कारण खंडित हो चुके हैं, वे केवल पत्थर नहीं — हमारी परंपरा, आस्था और पहचान के प्रतीक हैं। हम संकल्प लेते हैं कि ऐसे सभी मंदिरों को खोजकर, उनका संरक्षण कर, उन्हें फिर से उसी गरिमा और श्रद्धा के साथ स्थापित करेंगे, जैसे वे कभी हुआ करते थे।

यह कार्य सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा है।

हर खंडित मंदिर की पुनर्स्थापना हमारी आने वाली पीढ़ियों को यह बताएगी कि हम अपने इतिहास, अपनी आस्था और अपनी संस्कृति के प्रति सजग हैं। यही हमारा लक्ष्य है — खंडहरों में छिपे गौरव को फिर से जीवंत करना।

हमारा उद्देश्य – सम्राट महाराणा प्रताप सिंह जी की 1008 प्रतिमाएँ पूरे भारत में स्थापित करना

हमारा उद्देश्य है कि वीरता, स्वाभिमान और मातृभूमि-प्रेम के प्रतीक सम्राट महाराणा प्रताप सिंह जी की 1008 प्रतिमाएं पूरे भारतवर्ष में स्थापित की जाएं।

सम्राट महाराणा प्रताप सिंह जी न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि वे भारतीय आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के अमर प्रतीक हैं। उन्होंने जीवनभर विदेशी आक्रमणकारियों से भारत की भूमि की रक्षा की और कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया।

इन 1008 प्रतिमाओं के माध्यम से हम देश की भावी पीढ़ियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि सच्चा बलिदान क्या होता है, और कैसे एक व्यक्ति अपने अदम्य साहस से इतिहास की दिशा बदल सकता है।

हर एक प्रतिमा भारतवासियों को प्रेरित करेगी कि वे अपने देश, संस्कृति और स्वतंत्रता के लिए सदैव सजग रहें।

यही हमारा उद्देश्य है – महाराणा प्रताप की वीरगाथा को जन-जन तक पहुँचाना और उनके आदर्शों को अमर बनाना।

हमारा उद्देश्य – छत्रपति शिवाजी महाराज की 1008 प्रतिमाएँ पूरे भारत में स्थापित करना

हमारा उद्देश्य है कि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महान राष्ट्रनायक की 1008 प्रतिमाएँ भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थापित कर, उनके साहस, नीति और राष्ट्रभक्ति का संदेश घर-घर पहुँचाया जाए।

शिवाजी महाराज ने न केवल हिन्दवी स्वराज की स्थापना की, बल्कि एक सशक्त, न्यायपूर्ण और जनकल्याणकारी शासन की मिसाल भी पेश की। वे भारत की उस वीर परंपरा के प्रतीक हैं, जिसने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध अडिग खड़े होकर मातृभूमि की रक्षा की।

इन प्रतिमाओं के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाना चाहते हैं कि संगठन, दूरदृष्टि और आत्मगौरव के साथ जब नेतृत्व किया जाता है, तो एक नया इतिहास लिखा जाता है।

हर एक मूर्ति न केवल श्रद्धांजलि होगी, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा स्रोत बनेगी, जो भारतवासियों को अपनी संस्कृति, स्वतंत्रता और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करेगी।

यही हमारा लक्ष्य है – शिवाजी महाराज के जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाना और भारत को फिर से सांस्कृतिक और नैतिक रूप से समृद्ध बनाना।